PM SHRI KENDRIYA VIDYALAYA N M R, JNU CampusAn Autonomous Body under Ministry of Education, Government of IndiaCBSE Affiliation Number : 2700019, School Code:29021
- Sunday, September 08, 2024 22:34:55 IST
तत्कर्म यन्न बंधाय सा विद्या या विमुक्तये।
आयासायापरम कर्म विद्यान्या शिल्पनैपुणम।।
- श्री विष्णुपुराण
अर्थात जो बंधन उत्पन्न न करे वह कर्म है और जो मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करे वह विद्या है। शेष कर्म परिश्रम स्वरूप है तथा अन्य विद्यायें तो मात्र कला कौशल ही है। भारतीय ऋषि-मुनियों व मनीषियों ने ज्ञान (विद्या) को मनुष्य की मुक्ति का साधन कहा है। मनुष्य को भय, भूख, दुर्विकार , दुष्प्रवृत्तियाँ, दुराचरण, निर्बलता, दीनता व हीनता, रोग, शोक इत्यादि से मुक्ति की अभिलाषा अनंतकाल से है।
श्रीविष्णुपुराण का उपरोक्त महावाक्य हमें यही संदेश देता है कि मनुष्य को ज्ञान के द्वारा अपने समस्त क्लेशों से मुक्ति पाने का पुरुषार्थ करना चाहिए । विद्या त्याग और तपस्या का सुफल होती है इसलिए ज्ञान की उपलब्धि सदैव श्रमसाध्य है।
आइये, हम सभी अनुशासित होकर, समर्पित भाव से समस्त उपलब्ध साधनों का मर्यादापूर्वक उपभोग करते हुए ज्ञानार्जन का सद्प्रयास करें। अपनी दिनचर्या में उचित आहार, विहार और विचार का समावेश करते हुए व्यक्ति के रूप में प्रकृति प्रदत्त अनंत संभावनाओं को ज्ञान की पवित्र ऊर्जा के आलोक में पल्लवित व पुष्पित करें।
हम सभी कृष्ण यजुर्वेद के तैत्रीय उपनिषद के इस सूत्र का प्रतिदिन अपने विद्यालयों में प्रात:कालीन प्रार्थना सभा में सस्वरपाठ करते हैं:-
ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यम करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै, ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
आइये, इस सूत्र में छुपे महान संदेश को समझें और अपने जीवन में आत्मसात कर अपना नित्य कर्म करें । मैं, दिल्ली संभाग के समस्त अधिकारीयों, प्राचार्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, व कार्मिकों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ और सभी के लिए सफल व सुखद भविष्य की कामना करता हूँ ।